समाप्त होगा सीरिया युद्ध, कब्जे वाले क्षेत्र से आ रहे हैं लोगों के अंतिम पैगाम
दो दिन पहले यह खबर आई कि सीरिया का अलेप्पो शहर जो सीरिया के विद्रोहियों के कब्जे में था अब जल्द ही राष्ट्रपति बशर अल असद समर्थित सेनाओं के कब्जे में आ जायेगा. दरअसल, दो दिन पहले ही अलेप्पो शहर का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा असद समर्थित सेनाओं के कब्जे में आ चूका था.
अलेप्पो के पूर्वी हिस्से में विद्रोहियों के क़ब्ज़े वाले छोटे से इलाक़े में फंसे लोगों ने सोशल मीडिया खास तौर पर ट्विटर के जरिए अंतिम संदेश भेजने शुरू किये. सीरियाई सेना की सघन बमबारी के बीच इन लोगों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की.
12 दिसम्बर को जारी एक विडियो में एक शख्स को यह कहते हुए दिखाया गया है कि अलेप्पो की घेरा बंदी हो चुकी है सरकारी सेना का ज़मीनी और हवाई हमला तेज़ हो गया है. लोग यहाँ बिलकुल बेबस हो चुके हैं. हादी अब्दुल्लाह के ट्विटर अकाउंट से एक महिला का विडियो जारी हुआ जिसमें अंग्रेजी में यह मैसेज दिया गया कि “हर वो व्यक्ति जो इस मेसेज को देख रहा है उसे मेरा कहना है कि अलेप्पो में हम मर रहे हैं यह मेरा आखिरी विडियो है यहाँ एक नरसंहार की तैयारी है.
पचास हज़ार से अधिक नागरिकों ने असद के तानाशाही के खिलाफ बगावत की थी अब उन्हें डर है कि उनका नरसंहार कर दिया जाएगा. बाना अल-आबेद ने अपने आखिरी मैसेज में लिखा है कि हम बहुत दुखी हैं कि इस दुनिया में कोई हमारी मदद नहीं कर रहा है. कोई भी मेरी या मेरी बेटी को यहाँ से निकाल नहीं रहा है.
बहरहाल इन जैसे अनगिनत पैगामों के बीच यह खबर भी आई कि पूर्वी अलेप्पो शहर के विद्रोहियों के कब्ज़े वाले इलाके से लोगों को निकालने के लिए युद्ध विराम किया जाएगा. विद्रोहियों ने यह जानकारी दी कि आम लोग और विद्रोही लड़ाकों के गुरुवार की सुबह शहर से बाहर निकलने की संभावना है.
गौरतलब है कि इसके पहले मंगलवार को हुआ समझौता नाकाम हो गया था. पिछले समझौते के तहत लोगों को बुधवार को बाहर निकलना था, लेकिन संघर्ष विराम टूट गया था. इस बीच ताज़ा ख़बरों के मुताबिक यह जानकारी आ रही है कि एक बार फिर युद्ध विराम टूट गया है और रूसी हवाई हमला और सरकारी सेनाओं का ज़मीनी हमला शुरू हो गया है.
एक तरफ जहाँ विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्र से लोगों के आखिरी पैगाम आ रहे हैं वहीँ दूसरी तरफ सरकारी स्रोतों से निकलने वाली ख़बरों के मुताबिक ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है. बहरहाल इन दावों और प्रतिदावों की पुष्टि तो शांति स्थापना के बाद ही होगी लेकिन यह सच्चाई ज़रूर है कि पिछले पांच वर्षों से चल रही लड़ाई ने दोनों तरफ बहुत नुकसान पहुंचाया है.
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