कन्फ़ेशन का मतलब होता है, किसी पर पूरा भरोसा कर अपने दिल में छिपे राज़ खोल देना, इज़हार करना, जिससे मन में कोई बोझ बाकी ना रह जाए. चर्च में कन्फ़ेशन करने के लिए एक अलग जगह बनाई जाती है. जब भी कोई आदमी कन्फ़ेशन कर रहा होता है, तो उस जगह पादरी के अलावा कोई तीसरा व्यक्ति मौजूद नहीं होता.
लेकिन ये किसने सोचा था कि यही कन्फ़ेशन किसी को ब्लैकमेल करने या इससे भी ज़्यादा खतरनाक, किसी के यौन उत्पीड़न का ज़रिया बन सकता है. केरल में हाल ही में एक चर्च के चार पुजारियों पर एक विवाहित महिला ने सालों से कथित यौन उत्पीड़न और ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है
इस घटना ने भारतीय चर्च में कन्फेशन की पवित्रता के दुरुपयोग पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं. महिला ने आरोप लगाया कि 16 साल की उम्र से लेकर उनकी शादी करने तक एक पादरी ने उनका यौन उत्पीड़न किया.
शादी के बाद जब उस महिला ने यह बात चर्च के एक दूसरे पादरी के सामने कन्फ़ेस की, तो उस पादरी ने भी कथित तौर पर उस महिला का यौन उत्पीड़न किया. निराश होकर यह महिला जब पादरी के पास गई, तो वहां भी उस महिला के साथ कथित दुर्व्यवहार हुआ. ऐसा ही एक और मामला जालंधर से सामने आया, जालंधर के पादरी केरल के कोट्टायम ज़िले से थे, जहां की एक नन ने उन पर साल 2014 से 2016 तक कथिततौर पर यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाए.
इन दोनों मामलों ने चर्च में कन्फ़ेशन की पवित्रता पर सवालिया निशान खड़े कर दिए. इसके बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने इन दोनों मामलों का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी है. इस रिपोर्ट में राष्ट्रीय महिला आयोग ने सरकार से चर्च में होने वाली कन्फ़ेशन की प्रक्रिया पर रोक लगाने की सिफ़ारिश की है. आयोग का कहना है कि कन्फ़ेशन के चलते महिलाओं की सुरक्षा ख़तरे में पड़ सकती है.