साथियों कल 24 अक्तूबर 2022, तैतीस साल पहले भागलपुर दंगे की शुरुआत होने का दिन ! इस बार 24 अक्तूबर के दिन दिपावली होने के कारण बडा कार्यक्रम संभव नहीं था ! तो भागलपुर दंगे में सबसे अधिक जघन्य कांड जीन गांवों में हुआ वहां आज तैतीस साल के बाद क्या स्थिति है ? यह प्रत्यक्ष उन गांवों में जाकर देखने समझने के लिए कल सुबह से शाम तक मै और उदयजी दोनों ने पांच गांव कवर किए ! (1)चंदेरी (2)लोगांव( 3) इमारतें शरिया (4)कैथापिथना( 5) बडहयीया इनमें इमारतें शरिया यह भागलपुर दंगे के बाद पूरी तरह से नया बसाया हुआ गांव है ! जहां पर लोगांव, बडहयीया जैसे दंगा पिडीत गांव के लोग हैं !

बडहयीया में चंदेरी के जैसे टाटा समूह ने पचास – पचास मकान नब्बे में ही बनाकर दिए थे लेकिन चंदेरी के भी टाटा समूह के मकानों में सिर्फ एक परिवार रह रहा है ! और बाकी मकान खंडहरों में तब्दील हो गए हैं ! लगभग वही हाल बडहयीया के टाटा समूह ने बनाएं मकान आधेसे ज्यादा खाली पड़े हैं ! और वह भी खंडहरों में तब्दील हो गए हैं ! 1990 में जब यह निर्माण कार्य शुरू था तब मैंने खुद जाकर बनाने वाले ठेकेदार और तत्कालीन कमिश्नर श्री. शंकर प्रसाद से बातचीत में कहा कि यह बेकार की योजना है ! इतने भयावह माहौल में सिमेंट कांक्रीट के मकान बनाकर गांव के अन्य लोगों में इर्शा पैदा होगी ! और गांव के लोगों को इस प्रक्रिया में शामिल किये बगैर ! इस योजना का निर्माण कार्य बेकार जायेगा ! और वह आज मै बत्तीस सालों के पस्चात, खुद अपनी आंखों से देख कर आ रहा हूँ !


यही बात कश्मीर में से पंडित 19 जनवरी 1990 के समय निकल कर जम्मू के अगल-बगल में रह रहे हैं ! (यह जगमोहन नाम के एक अधिकारी को बीजेपी के दबाव से, तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री. वी पी सिंह ने कश्मीर के राज्यपाल के रूप में नियुक्त करने का भी दिवस है ! बीजेपी ने वी पी सिंह की अल्पमत की सरकार को बाहर से समर्थन दिया था ! ) और कोइंसेडेंटली भागलपुर और कश्मीर के घटनाक्रम का समय एक ही है ! 1989 – 90 !
और उसी समय से हिंदु सांप्रदायिक तत्वों ने अल्प संख्यक समुदायों के खिलाफ, कभी मंदिर – मस्जिद तो ! कभी गाय या स्थानीय मुद्दे को हवा देकर ! ध्रुवीकरण की राजनीति को लेकर, अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए ! बारह महीनों चौबीसों घण्टे मुस्तैदी से लगे हुए हैं ! और इस में वर्तमान समय में, भारत के संविधानिक पदो पर बैठे हुए लोगों में से प्रधानमंत्री – गृहमंत्री दोनों की भूमिका बहुत ही संदेहास्पद है ! और देश में जबतक सांप्रदायिकता का माहौल बना रहेगा ! और पुनर्वास भले ही भागलपुर के दंगों के दौरान भागे हुए लोगों का हो या कश्मीर के पंडितों का विस्थापन ! तब तक नहीं सुलझेगा जबतक दोनों कौमे एक दूसरे को शक की निगाह से देखते रहेगी !


और यह फोटो, भागलपुर से बीस किलोमीटर की दूरी पर के ! लोगांव नाम के गांव का है ! जहाँ पर सौ से अधिक लोगों मारकर, 26 अक्तुबर के दिन, हजारों की संख्या में भिड ने घेर कर इस जधन्य कृत्य को अंजाम दिया है ! भीडके भीतर बाहरी लोगों के साथ स्थानीय लोग भी शामिल थे ! पिढी – दरपिढी साथ-साथ रहते हुए लोग अचानक दंगों की आंधी में ऐसे कृत्यों को अंजाम देते हैं ! एरिक फ्रॉम नाम के (23 मार्च 1900 – 18 मार्च 1980) जर्मन यहुदी वंश के, मानवी स्वभाव के हिंस्र पक्ष के उपर शास्त्रीय संशोधन करने वाले, सिग्मंड फ्राइड के बाद के ! वैज्ञानिक ने The Anatomi of Humen Distractivnes नाम से पचास वर्षों के पहले ही एक किताब लिखी है ! जिन्हें हिटलर के कारण ! जर्मनी छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था ! जिसने युरोपीय देशों में इटली और जर्मनी के तानाशाही के समय, वहां के शासकों ने अपने अनुयायियों के द्वारा, इससे भी घृणास्पद कृत्यों को अंजाम दिया है ! जो भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा, हूबहू नकल करते हुए ! अपने संघठन की निंव आजसे सौ साल पहले शुरूआत की थी, वह आज रंग ला रही है ! भागलपुर, मालेगाव, नांदेड, धुळे, गुजरात तथा देश भर में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के लिए कही पर बमब्लास्ट तो कहीपर दंगों को अंजाम देने के कामों में लिप्त है !


लोगांव में कुल पचपन मुस्लिम समाज के मकान थे ! लेकिन दंगे में उन घरों को धराशायी करते हुए ! सौ से ज्यादा लोगों को मारकर पहले तालाब में फेक दिया था ! लेकिन अर्ध सैनिक बलो की तैनाती को देखते हुए ! तालाब से निकालकर सामने जो हरियाली दिखाई दे रही है ! वहां आधे शवों को खेत में दफन करके, उपर से गोबी के सब्ज़ी के पौधे लगा दीए थे ! और आधे शवों को, इसी खेत के उलटी दिशा के दुसरे खेत में ! उसी तरह दफनाकर गोबी के पौधे लगा दिए थे ! बाद में किसी शव का हाथ बाहर निकल आया था ! तो अर्ध सैनिकों ने खुदाई शुरू किया ! तो दोनों तरफ के खेतों से लगभग 110 शवों को निकाला गया ! और अब साजीद नाम के एक मात्र आदमी अपनी जवान बेटी जो कालेज के दुसरे साल में पढ रही है ! और उससे छोटा बेटा, और अपनी पत्नी के साथ, खेत में ही दंगे के बाद नया घर बनाकर रह रहा हैं ! इसी तरह भतोडिया, चंदेरी, चंदेरी के मुसलमानों ने सबौर पुलिस स्टेशन में आश्रय लिया था ! लेकिन पुलिस स्टेशन इनचार्ज ने, और सुरक्षित जगह ले जाने की आड में ! वापस चंदेरी लाकर, और दंगाइयों को कहा “कि जो भी कुछ करना है ! तुरंत कर लो अन्यथा पैरा मिलिटरी आने के बाद कुछ नहीं कर सकोगे !” और 65 लोगों को मार कर पोखर में डाल दिया था !


नया बाजार की घटनाओं की कहानी और भी रोंगटे खड़े करने वाली है ! नया बाजार में यमुना कोठी नामकी एक पुरानी हवेली थी ! उसमें रहने वाले मुन्नासिह और प्रतिभा सिन्हा, उनकी बुढी मां और बेटी बीसेक सालकी जेनी ने, मिलकर सत्तर से अधिक मुस्लिमों को आश्रय दिया था ! और तीन दिनों तक मुन्नासिह कोतवाली थाने के चक्कर लगा रहे थे ! लेकिन पुलिस ने उल्टा मुन्नासिह को ही गिरफ्तार कर लिया ! और यमुना कोठी में बाईस के उपर लोग जिनमें उम्रदराज औरतें बच्चों से लेकर जवानों को भी दंगाइयों ने मौत के घाट उतार दिया !


भागलपुर दंगे ने, आजादी के बाद भारत के दंगों की शक्ल बदली है ! इसके पहले के दंगे चंद गली – मोहल्ले के होते थे ! भागलपुर छ जिले में फैला हुआ दंगा है ! और 3000 से अधिक लोग मारे गए हैं ! और 300 से अधिक गांवों के मुसलमानों के मकानों को जलाने और कंक्रीट के थे तो, बाकायदा तोड़ने का काम किया है !


जो तेरह साल बाद, गुजरात दंगों में और भी बडे पैमाने पर उजागर हुआ है ! और उसी में से किसी की चालीस इंची छाती फुलकर छप्पन इंची हो जाति है ! और हमारे संसदीय लोकतंत्र के पतन का सब से बड़ा उदाहरण ! ऐसे लोगों के हाथों में इस देश की बागडोर चली गई है ! सबसे हैरानी की बात ! दंगों की राजनीति करने वाले लोगों के हाथों में देश की बागडोर ! आजादी के पचहत्तर साल के दौरान ! और वह भी अमृतमहोत्सवी वर्ष में ! भारत की बहुआयामी संस्कृति को नष्ट करते हुए ! उसे एक रंग में ढालने की कोशिश कर रहे हैं ! कश्मीर के 370 हटाने की बात हो, या तथाकथित नागरिकता वाले बिल सभी उसी कड़ी में आते हैं !


महंगाई आसान को छू रही है ! बेरोजगारी के बारे में वर्तमान प्रधानमंत्री ने 2013 में अपने चुनाव प्रचार में हर साल दो करोड रोजगार देने का वादा किया था और भ्रष्टाचार के विदेश के बैंकों में जमा काला धन वापस लाने की घोषणा की थी ! रोजगार के बारे में आलम यह है कि आज आठ साल हो चुके हैं लेकिन हर साल दो करोड़ का ही आंकडा आज तक पार नहीं कर पाए तो अपनी आदत के अनुसार 140 करोड़ों जनसंख्या के देश का प्रधानमंत्री ! एक – एक बेरोजगार को खुद नौकरी के बहाली के कागजात बाट रहा है ! सबसे हैरानी की बात इतनी सारी समस्याओं के निराकरण करने की जगह ! सिर्फ धार्मिक ध्रुवीकरण करते हुए लोगों का ध्यान भटकाने के लिए सोची-समझी साजिश जारी है ! भागलपुर दंगे में से यही प्रक्रिया लगातार जारी है ! बेरोजगार युवाओं से लेकर मजदूरों तथा किसानों के आंदोलनों की रफ्तार तेज करना ही सांप्रदायिकता की काट हो सकती है !
डॉ सुरेश खैरनार 25, अक्तुबर 2022, भागलपुर

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