‘मैं और मेरा’ के चक्रव्यूह में सृजन
आज के साहित्यिक परिदृष्य पर अगर नजर डालें तो ‘मैं’, ‘मेरा’ और ‘मेरी’ की ध्वनियों...
आज के साहित्यिक परिदृष्य पर अगर नजर डालें तो ‘मैं’, ‘मेरा’ और ‘मेरी’ की ध्वनियों...
ईसा से 304 वर्ष पूर्व भारत की यात्रा पर आए प्रसिद्ध ग्रीक राजदूत मेगास्थनीज ने...
मैने चौथी दुनिया के अपने इस स्तंभ में कई बार हिंदी में निकल रही साहित्यिक...
वर्ष दो हज़ार चार में जब मेरे समीक्षात्मक लेखों का पहला संग्रह प्रसंगवश छपा था,...
बांग्लादेश की विवादास्पद और निर्वासन का दंश झेल रही लेखिका तसलीमा नसरीन ने एक बार...
साहित्य समाज का आईना होता है. जिस समाज में जो घटता है, वही उस समाज...
दुनिया की तक़रीबन आधी आबादी महिलाओं की है. इस लिहाज़ से महिलाओं को तमाम क्षेत्रों...
हिंदी में साहित्यिक किताबों की बिक्री के आंकड़ों को लेकर अच्छा-खासा विवाद होता रहा है....
वर्ष 2011 ख़त्म हो गया. देश के विभिन्न समाचारपत्र-पत्रिकाओं में पिछले वर्ष प्रकाशित किताबों का...
एक अच्छी कोशिश हमेशा प्रशंसनीय होती है, लेकिन जब ऐसी कोई कोशिश नए और संसाधनों...
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल अब हमारे बीच नहीं हैं. उन्हें हाल...
हमारे देश के सबसे बड़े साहित्यिक पुरस्कार को लेकर विवाद पैदा किया जा रहा है....
वर्तमान समय तकनीक का युग हो गया है. इससे कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रह...
हर साल 31 जुलाई हिंदी साहित्य के लिए एक बेहद ख़ास दिन होता है. इस...
साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं को खरीदने के लिए अक्सर मैं दिल्ली के मयूर विहार इलाक़े में जाता...
विश्व राजनीति के पटल पर क्लियोपेट्रा एक ऐसा नाम है, जिसने अपनी खूबसूरती और अपने...
मुंशी प्रेमचंद के सपनों का भारत निश्चित ही गांधी के सपनों का भारत था. गांधी...
हिंदी में प्रकाशित किसी भी कृति-उपन्यास या कहानी संग्रह या फिर कविता संग्रह को लेकर...
चौथी दुनिया के अपने इसी स्तंभ में कुछ दिनों पहले मैंने बिहार सरकार के कला...
बात अस्सी के दशक के अंत और नब्बे के दशक के शुरुआती वर्षों की है....
नवोदित उपन्यासकार महुआ माजी का मानना है कि साहित्यकार समाज सुधारक नहीं होता. वह सिर्फ...
हिंदी में पत्रिकाओं का बेहद लंबा इतिहास रहा है. उन्नीसवीं सदी को हिंदी भाषा और...
हिंदी में साहित्यिक पत्रिकाओं का एक समृद्ध इतिहास रहा है और हिंदी के विकास में...
इस वर्ष के साहित्य अकादमी पुरस्कारों का ऐलान हो गया है. हिंदी के लिए इस...
वर्ष 1935 में लंदन के नानकिंग रेस्तरां में बैठकर सज्जाद ज़हीर, मुल्कराज आनंद, ज्योति घोष,...
हिंदी में साहित्यिक पत्रिकाओं का एक लंबा और समृद्ध इतिहास रहा है, माधुरी, कल्पना एवं...
हिंदी के मूर्धन्य कवि, आलोचक, स्तंभकार, कला मर्मज्ञ एवं पूर्व नौकरशाह अशोक वाजपेयी ने एक...
दिल्ली के साहित्य प्रेमियों को हर साल 28 अगस्त का इंतज़ार रहता है. साहित्यकारों को...
समकालीन साहित्यिक परिदृश्य में हिंदी अनुवाद की हालत बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है....
कला और साहित्य ज़मीन पर खींची गई किसी लकीर के दायरे में नहीं बांधे जा...