लोक के ज़ख्म पर तंत्र का नमक
अब इसमें रत्ती भर भी संदेह नहीं रहा कि अगर सरकार या प्रशासन न चाहे, तो न्याय मिलने की संभावना भी खत्म हो जाती है. हाशिमपुरा और मलियाना में सालों पहले हत्याकांड हुआ, 28 के आसपास लोग मारे गए. गाज़ियाबाद...
अब इसमें रत्ती भर भी संदेह नहीं रहा कि अगर सरकार या प्रशासन न चाहे, तो न्याय मिलने की संभावना भी खत्म हो जाती है. हाशिमपुरा और मलियाना में सालों पहले हत्याकांड हुआ, 28 के आसपास लोग मारे गए. गाज़ियाबाद...
पुलिस तंत्र अगर ग़लत जांच करता है, तो उसकी जवाबदेही निश्चित हो, उसके लिए उसे सजा देने का प्रावधान हो. उसी तरीके से अगर अदालतें ग़लत फैसला दें या फिर ऐसे फैसले दें, जो अंतिम न्याय देने वाले दरवाजे से...
मेरठ के हाशिमपुरा-मलियाना दंगे की ऐसी अनकही दर्दनाक दास्तां और भी है, जो न केवल सुनने वालों के रोंगटे खड़े कर देती है, बल्कि जो मानवता को भी शर्मसार कर देने वाली है. दरअसल, इन दंगों को कुचलने के नाम...
मई 1987 में हाशिमपुरा एवं मलियाना (मेरठ) नरसंहार के बाद मुस्लिम संगठनों के महासंघ ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के अंतर्गत सेंट्रल रिलीफ कमेटी बनाई गई और फिर 16 जून, 1987 को बंबई मर्कनटाइल बैंक की दिल्ली शाखा में मदद की...
अगर न्याय में देरी का मतलब न्याय से वंचित होना है तो यह कह सकते हैं कि मेरठ के मुसलमानों के साथ अन्याय हुआ है. मई 1987 में हुआ मेरठ का दंगा पच्चीसवें साल में आ चुका है. इस दंगे...
भारतीय राजनीति में भ्रष्ट और पाक-साफ़ में फर्क़ नहीं है. भारत के नेताओं में मूढ़ और दूरदर्शी का फर्क़ नहीं है. भारत की सरकारों में सुशासक और कुशासक का भी फर्क़ नहीं है. फर्क़ स़िर्फ एक है और यही फर्क़...
वक्त बदला, हालात बदले, लेकिन नहीं बदली तो, ज़िंदगी की दुश्वारियां नहीं बदलीं. आंसुओं का सैलाब नहीं थमा, अपनों के घर लौटने के इंतज़ार में पथराई आंखों की पलकें नहीं झपकीं, अपनों से बिछ़डने की तकली़फ से बेहाल दिल को...
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