लोकसभा चुनाव नतीजों का भले ही नेताओं को बेसब्री से इंतजार हो, लेकिन देश का एक गांव ऐसा भी है, जिसे नतीजों से डर लग रहा है। देश के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में स्थित नया बांस गांव के लोगों की जिंदगी पिछले दो सालों में काफी बदल सी गई है। नया बांस गांव में रहने वाले मुस्लिम परिवारों का कहना है कि उन्हें याद है जब उनके बच्चे भी हिंदू बच्चों के साथ खेलने जाते थे। दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे के साथ खुलकर बातें करते थे, दुकानों और त्योहारों में साथ जाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स में छपी एक खबर के मुताबिक, गांव के कुछ लोग भयभीत है तो कुछ गांव छोड़कर जाने की सोच रहे हैं। क्योंकि पिछले दो वर्षों में दोनों समुदाय ध्रुवीकृत हो गए हैं।

गांव मे रहने वाले चिंतित मुस्लिम परिवारों का कहना है कि अगर पीएम मोदी की हिंदू राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी दोबारा सत्ता में आती है तो परेशानी और ज्यादा बढ़ सकती हैं। हाल ही में आए एग्जिट पोल के नतीजों से एनडीए को बहुमत मिलने के संकेत मिल रहे हैं और मोदी सरकार फिर से पांच साल के लिए सत्ता में आ जाएगी। गांव के लोगों का कहना है कि, पहले चीजें बेहतर थी। रोटी और तम्बाकू बेचने वाली एक छोटी सी दुकान चलाने वाले गुलफ़ाम अली का कहना है कि, हिंदू मुस्लिम बुरे और अच्छे वक्त में एक दूसरे के साथ रहते थे। फिर चाहे किसी की शादी हो या किसी का मातम। अब हम उसी गाँव में रहने के बावजूद अपने अलग तरीके से रहते हैं।

2014 में मोदी सत्ता में आए और भाजपा ने उत्तर प्रदेश राज्य को अपने नियंत्रण में ले लिया, जिसमें 2017 में नायबंस भी शामिल हैं। राज्य के मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ, एक हिंदू पुजारी और वरिष्ठ भाजपा व्यक्ति हैं। एक अन्य ग्रामीण अली ने कहा, मोदी और योगी ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। उनका असली मकसद हिंदू-मुस्लिम को अलग करना है। ऐसा पहले कभी भी नहीं हुआ। हम इस जगह को छोड़ना चाहते हैं, लेकिन असल में ऐसा नहीं कर सकते हैं।अली ने बताया कि पिछले दो सालों में उसके चाचा सहित दर्जनों परिवार गांव छोड़कर जा चुके हैं। लेकिन भाजपा इस तरह की खबरों से इंकार करती रही है।

पिछले साल तक जहां नयाबांस में गेंहू के खेत, संकरे रास्ते और उनमें घूमती बैलगाड़ियां और गाय दिखती थीं, वही अब यहां एक अलग तरह का माहौल देखने को मिल रहा है। अब यहीं चीजें भारत के गहरे विभाजन का प्रतीक बन गई हैं क्योंकि इलाके के कुछ हिंदू पुरुषों ने शिकायत की थी कि उन्होंने मुसलमानों के एक समूह को गायों को मारते देखा है, जिसे हिंदू पवित्र मानते हैं। जिसके बाद माहौल काफी बिगड़ता चला गया। हाईवे को रोक दिया गया, गाड़ियां जलाई गईं और एक पुलिस अधिकारी सहित दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बुलंदशहर में हुई इस हिंसा के लगभग पांच महीने बाद 4 हजार की जनसंख्या वाले इस गांव के लगभग 400 मुस्लिमों का कहना है कि उनके घाव अभी तक नहीं भर पाए हैं, यहां अभी भी हालात सुधरे नहीं हैं। इस घटना ने सब कुछ बदलकर रख दिया। एक ऐसे देश में जहां 14 फीसदी आबादी मुस्लिम और 80 फीसदी हिंदू हैं। नयाबांस उन जगहों के तनाव को दर्शाता है जहां मुस्लिम निवासी के अधिकतर पड़ोसी हिंदू होते हैं। भाजपा के प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि इस सरकार के अधीन देश में कोई दंगे नहीं हुए हैं। क्या आपराधिक घटनाओं पर रोक लगाना गलत है, जिसे हम हिंदू-मुस्लिम मुद्दे कहते हैं। विपक्ष सांप्रदायिक राजनीति खेल रहा है लेकिन हम शासन की निष्पक्षता में विश्वास करते हैं। न किसी का तुष्टिकरण, न किसी की निंदा।

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