waterwayबिहार में शराबबंदी के बाद अब शराब तस्कर गंगा व कोसी के अलावा अन्य नदियों के रास्ते बंगाल, झारखंड, उत्तरप्रदेश व नेपाल से शराब की खेप मंगाने लगे हैं. जलमार्ग के सहारे पहले भी तस्करी होती रही है. मुंगेर निर्मित हथियारों व मादक पदार्थों की तस्करी के लिए गंगा व कोसी की राह तस्करों के लिए हमेशा आसान रही है. लेकिन शराब तस्करों द्वारा जलमार्ग का इस्तेमाल अब शासन-प्रशासन के लिए चिंता की बात है. शाम ढलते ही गंगा, कोसी समेत अन्य नदियों के आस-पास बनाए गए पेशाघाट अर्थात धंधा के लिए बनाए गए घाट पर धंधेबाजों की भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है. तड़के सुबह तक शराब ढोए जाने का खेल बदस्तूर जारी रहता है.   शराब से भरे कंटेनरों व छोटे वाहनों को नाव से गंतव्य तक पहुंचाने का दृश्य सरकार के सपनों को चकनाचूर करता नजर आता है. शराब तस्करों द्वारा फरक्का से भागलपुरघाट, मुंगेरघाट से लेकर मुजफ्‌फरपुर के विभिन्न घाटों व नेपाल से लेकर कोसी के विभिन्न घाट के बीच अस्थाई तौर पर दर्जनों घाटों का निर्माण किया गया है. पुलिस प्रशासन को भी इन घाटों से शराब की खेप मंगायी जाने की खबर है. लेकिन इलाके की भौगोलिक बनावट के कारण पुलिस का अभियान टांय-टांय फिस्स साबित हो रहा है. दिन के उजाले में शराब तस्कर किसी और धंधे में लगे रहते हैं. शाम ढलते ही धंधेबाजों की भीड़ घाटों पर जुटने लगती है. शराब की तस्करी के दौरान धंधेबाज जगह-जगह पर हथियारबंद अपराधियों को तैनात कर देते हैं. इनके खौफ से ग्रामीण धंधेबाजों की करतूतों को सार्वजनिक करने से डरते हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि शराब तस्करों द्वारा बंगाल एवं झारखंड के साथ-साथ नेपाल के गंगा किनारे के जिलों से मोटरवाले नाव से शराब की खेप गंगा किनारे के दियारा इलाकों में ले जाया जाता है. यहां तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता पगडंडी ही होता है. इन इलाकों तक पहुंचने के रास्ते इतने दुर्गम हैं कि पुलिस को गंतव्य तक पहुंचने में कई घंटे लग जाते हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि अगर पुलिस समय पर पहुंच भी जाती है तो शराब की खेप उनके हाथ नहीं लग पाती है. भनक मिलते ही शराब तस्कर नियमित नदी घाट के बजाय शराब की खेप को पेशाघाट अर्थात धंधे के लिए बने अस्थायी घाट पर छुपा देते हैं. शराब की बोतलों को कंटेनर में भरकर नदियों में इस तरह डूबो दिया जाता है कि पुलिस हाथ मलती रह जाती है. मोटरचालित नाव के निचले हिस्से में शराब छिपाने के लिए नाविकों की मदद से तस्कर विशेष इंतजाम करते हैं. तस्करों द्वारा बंगाल एवं झारखंड से लाई गई शराब की खेप सीमावर्ती जिले कटिहार के साथ-साथ पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, खगड़िया व मिथिलांचल तक पहुंचायी जा रही है. एक माह के दौरान मधेपुरा, पूर्णिया, खगड़िया व अररिया से पकड़े गए शराब के धंधेबाजों ने भी पुलिस के समक्ष खुलासा किया है कि गंगा के रास्ते बंगाल, झारखंड व नेपाल से शराब की खेप बिहार मंगाई जा रही है. इसके बावजूद शराब माफिया तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंच पा रहे हैं. कभी-कभी शराब के काले धंधे से जुड़ी छोटी मछलियों को पकड़ कर ही पुलिस इतिश्री कर लेती है. जानकारों के मुताबिक गंगा तथा कोसी सहित विभिन्न नदियों के अस्थायी घाट पर शराब की खेप मंगाए जाने के बाद उसे फिर एजेंट के जरिए निर्धारित स्थल तक पहुंचाया जाता है. गंतव्य तक शराब पहुंचाने के लिए एजेंट ग्रामीण स्तर पर उपयोग में लाई जाने वाली बैलगाड़ी, साइकिल व मोपेड का ही इस्तेमाल करते हैं.

प्रशासन ने शराब की तस्करी पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए गंगा, कोसी, महानंदा, कनकई समेत अन्य नदियों में मोटरबोट के सहारे गश्ती के बंदोबस्त किए जाने का दावा किया था. लेकिन गंगा नदी में फरक्का से लेकर भागलपुर तक कुछ मोटरबोट के सहारे दिन में गश्ती किया जाता है, लेकिन देर शाम होते ही गश्ती दल गायब हो जाते हैं. रात होते ही शराब माफिया का खेल शुरू हो जाता है. दरभंगा प्रक्षेत्र के आईजी उमाशंकर सुधांशु का कहना है कि सूबे में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद गंगा में भी नावों के सहारे गश्ती की व्यवस्था की गई है. बंगाल एवं झारखंड के साथ-साथ नेपाल का सीमावर्ती इलाका होने के कारण शराब तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं. शराब की तस्करी पर रोक लगाने के लिए गंगा समेत अन्य नदियों में गश्ती की पुख्ता व्यवस्था की जाएगी. बहरहाल, गंगा सहित अन्य नदियों में पुलिसिया गश्ती के पुख्ता इंतजामात किए जाने से ही शराब तस्करी पर रोक लगाई जा सकती है. शराब माफिया की करतूतों को देख आम जनता यही कहने को मजबूर है कि ‘शराबमुक्त बिहार’ का सपना नहीं हो सका साकार.

एम्बुलेंस बना शराब तस्करी का सुरक्षित जरिया

गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को भले ही अस्पताल पहुंचने के लिए समय पर एंबुलेंस न मिले, लेकिन शराब माफिया जमकर इनका इस्तेमाल शराब की तस्करी के लिए कर रहे हैं. लोग बताते हैं कि ग्रामीण इलाकों की बात तो जाने दें, शहरी इलाकों में भी प्राइवेट क्लीनिक के एंबुलेंस का इस्तेमाल मरीजों की बजाय शराब ढोने में हो रहा है. बीते दिनों पूर्णिया जिले में गिरफ्‌तार किए गए एक वाहन चालक ने भी पुलिस के समक्ष इस बात का खुलासा किया था कि विभिन्न प्राइवेट नर्सिंग होम के एम्बुलेंस चालक शराब लाने-ले जाने के खेल में जुटे हैं. कभी शराब माफिया के प्रभाव में आकर तो कभी शराब बिक्री के एवज में मनमानी कीमत वसूलकर एंबुलेंस चालक मालामाल हो रहे हैं. बार-बार मिल रही शिकायत के बाद जब पुलिस ने मामले की पड़ताल की, तो सच सामने आया. निजी नर्सिंग होम के एम्बुलेंस चालक बेहतर चिकित्सा के लिए मरीजों को रेफर किए जाने के दौरान अस्पताल द्वारा दी गई रेफर ऑर्डर की कॉपी अपने पास रख लेते हैं. मरीजों को गंतव्य तक पहुंचाने के बाद उसी रेफर ऑर्डर कॉपी को दिखाकर कई दिनों तक आराम से शराब को गंतव्य तक पहुंचाया जाता है. इसके एवज में एम्बुलेंस चालकों को  शराब के साथ-साथ बंधी-बंधाई रकम उपलब्ध करायी जाती है, साथ ही पुलिस की पकड़ में आने के बाद छुड़ाने का आश्वासन भी दिया जाता है. पुलिस प्रशासन इमरजेंसी सर्विस होने के कारण आमतौर पर एंबुलेंस की तलाशी नहीं लेते. वहीं प्राइवेट नर्सिंग होम के एम्बुलेंस चालकों को इतना कम पगार मिलता है कि वे जाने-अनजाने शराब माफिया के झांसे में आ जाते हैं. वैसे मरीज व मौत के शिकार हुए लोगों को गंतव्य तक पहुंचाने के नाम पर उपयोग में लाए जाने वालेे एम्बुलेंस से अन्य तरह के सामानों को ढोए जाने का मामला पहली बार सामने नहीं आया है. मरीज को गंतव्य तक पहुंचाने के बाद एम्बुलेंस का इस्तेमाल यात्री वाहन के रूप में भी किया जाता है. अब एम्बुलेंस से प्रतिबंधित सामानों को इधर से उधर पहुंचाए जाने का मामला सामने आने के बाद  प्रशासन भी सतर्क हो गया है. कोसी तथा सीमांचल का इलाका एम्बुलेंस के जरिए हो रही शराब तस्करी को लेकर खासा सुर्खियों में है. इधर खगड़िया के पुलिस कप्तान अनिल कुमार सिंह का कहना है कि शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से पुलिस द्वारा अवैध शराब के साथ-साथ शराबियों को भी गिरफ्‌तार किया जाता रहा है. इस इलाके में अगर एम्बुलेंस से शराब की तस्करी हो रही है तो निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी. किसी भी कीमत पर धंधेबाजों को बख्शा नहीं जाएगा. बहरहाल, शराब तस्कर शराब के अवैध कारोबार के नए-नए तरीके ढूंढने में लगे हैं, वहीं पुलिस केवल सतर्कता के दावे करने में जुटी है. शराब तस्करों और प्रशासन के बीच चूहा-बिल्ली के खेल में पूर्ण शराबबंदी का सपना कहीं चकनाचूर न हो जाए, इस पर आम जनता की नजर टिकी है.

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